एक देश , एक बाजार !
 

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत आर्थिक पैकेज की तीसरी किश्त घोषित करते हुए कृषि,पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी क्षेत्र के लिए जो 1.63 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान की घोषणा की है , उससे तत्काल किसी क्रांति की उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि इसे इन क्षेत्रों के लिए सरकार का विजन डॉक्युमेंट मानिए । लेकिन इसमे भी कोई शक नहीं कि इन घोषणाओं को अगर जमीनी हकीकत पर उतारा जा सका तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी । जहां तक कृषि विपणन नीति में बदलाव के जरिये किसानों के लिए एक देश , एक बाजार नीति लाने की तैयारी है तो यह स्वागत योग्य कदम है जिसकी सराहना करनी होंगी । किसानों को मंडी की सीमाओं से आजाद करने की जरूरत पिछले कई सालों से अनुभव की जा रही है और अगर इसके लिए सरकार एपीएमसी (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी ) एक्ट में बदलाव करके किसानों को अपनी मंडी के लाइसेंसधारी आढ़ती को उपज बेचने की बाध्यता से मुक्त कर दे तो निश्चित रूप से किसानों की आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार होगा । अधिक उपज वाले क्षेत्र का किसान अपनी उपज को उन मंडियों में बेच कर अच्छी कीमत प्राप्त कर सकेगा जहां उस फसल की उपज में कमी की वजह से अभाव की स्थिति है लेकिन आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव का कोई औचित्य नहीं है । जिस तरह से सरकार ने खाद्य तेल ,दाल,आलू,प्याज आदि को इस कानून के दायरे से बाहर करके इन वस्तुओं की स्टॉक लिमिट को खत्म करने का फैसला किया है ,यह सरासर जनता को मुनाफाखोरी की भेंट चढ़ाने वाला फैसला है जिस पर सरकार ने अगर पुनर्विचार नहीं किया तो आमदनी से वंचित हो चुकी जनता पर महंगाई की जबरदस्त मार पड़ेगी । जिंदगी जीने के लिए भोजन जरूरी है और खाद्य तेल ,दाल ,आलू-प्याज के बिना भारतीय भोजन संभव नहीं । अतः भोजन के लिए जरुरी इन वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर करने और इन पर स्टॉक लिमिट खत्म करने का मूर्खतापूर्ण और जनविरोधी सुझाव जिस अर्थशास्त्री या नौकरशाह ने दिया है ,उसकी खबर ली जानी चाहिए । पहले से ही आलोचनाएं झेल रही सरकार की इस फैसले से और फजीहत निश्चित है । इसके अलावा कृषि विपणन ,उत्पाद नियंत्रण और गुणवत्ता संबंधी योजनाएं देश और किसानों के लिए फायदेमंद होंगी । किसान अपनी उपज बेचने के लिए बड़े व्यापारियों और निर्यातकों से सीधे ऑनलाइन संपर्क कर सकेगा ,अपनी आमदनी बढ़ा कर देश के कृषि निर्यात में भी अपना योगदान बढ़ा सकेगा ।