कोविड-19 की मार से बेदम पड़े उद्योगों में जान फूंकने के लिए जब रघुराम राजन ,कौशिक बसु ,अभिजीत बनर्जी ,मनमोहनसिंह और पी चिदम्बरम जैसे विश्वविख्यात अर्थशास्त्री बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रोत्साहन की जरूरत बता चुके हैं तो केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने यह विचार व्यक्त कर के देश के कपड़ा उद्योग को तगड़ा झटका दिया है कि राहत पैकेज मांगना बंद करे कपड़ा उद्योग , कोरोना के चलते सरकार पहले ही आर्थिक दबाव में है । रविवार को कोलकाता के मर्चेंट्स चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों के साथ वेबिनार में उनके विचारों से सरकार के इरादे जाहिर हो जाने चाहिए कि उद्योग के लिए यह समय आत्म मंथन का है । कपड़ा उद्योग पैकेज या समर्थन की मांग कर रहा है ,अब समय नई दिशा और नई सोच का है । कपड़ा उद्योग के पास क्षमता है ,अगर वे नए माहौल में खुद को ढाल लें तो उन्हें किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं । मतलब साफ है कि कपड़ा उद्योग को सरकार की ओर से किसी राहत पैकेज की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए । स्मृति ईरानी का यह बयान केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग सचिव गिरधर अरमानै के हाल ही में दिए गए उस बयान के ठीक उलट है जो उन्होंने सियाम के सदस्यों के साथ वार्ता में दिया था कि सरकार अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र के लिए राहत पैकेज तैयार कर रही है जिसका शीघ्र ऐलान कर दिया जाएगा । अब ईरानी जी को कौन समझाए कि लॉक डाउन से ठप्प पड़ी अर्थव्यवस्था में उद्योगों का पहिया चलाने के लिए सहायता की जरूरत है ,नेताओं के ज्ञान की नहीं । अगर यह ईरानी जी का निजी विचार है तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए । जिन्हें छोटे मोटे कारोबार तक का तजुर्बा नहीं ,वो उद्योग के रास्ते मे आने वाली कठिनाईयों को नहीं समझ सकते । लेकिन अगर कोविड-19 से निपटने की यह सरकार की नीति का हिस्सा है तो उद्योग जगत के लिए सदमे जैसा है । कोरोना के प्रहार से ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था में प्राण फूंकने के लिए सभी औद्योगिक संगठन सरकार से राहत पैकेज की मांग कर चुके हैं । कोंग्रेस नेता राहुल गांधी भी एमएसएमई सेक्टर के लिए पर्याप्त पैकेज की मांग कर चुके हैं । इसलिए कि उद्योगों के पास उद्योग चलाने की क्षमता खत्म हो चुकी है और इस प्रकार की विकट परिस्थितियों में पूर्व की सरकारों ने हमेशा हर उद्योग को जरूरी सहायता दे कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाये रक्खा । उद्योग जगत आज भी सरकार से वही अपेक्षा कर रहा है तो सरकार को भी इस परीक्षा में खरा उतरना चाहिए । अन्यथा सरकार किस काम की ?
कपड़ा उद्योग को झटका