कोरोना वायरस के संक्रमण से ध्वस्त पड़ी अर्थव्यवस्था के लिए 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान कर के प्रधानमंत्री मोदी जी ने वाकई में सही और सराहनीय कदम उठाया है । मंगलवार को आत्मनिर्भर भारत का आवाहन करते हुए प्रधानमंत्री ने जिस तरह से एमएसएमई सहित अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स के लिए अभूतपूर्व राहत पैकेज का ऐलान किया है ,वास्तव में इसकी सख्त जरूरत भी थी । पिछले दिनों से सभी औद्योगिक संगठनों द्वारा इसकी मांग की जा रही थी । कोंग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी एमएसएमई सेक्टर को राहत पैकेज देने की मांग के साथ 46 करोड़ अति गरीब लोगों के खाते में 10-10हजार रुपये डालने की मांग उठाई थी ताकि विभिन्न उपभोक्ता उद्योगों के लिए क्रयशक्ति का निर्माण हो सके । रिजर्वबैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से लेकर अनेक विश्वविख्यात अर्थशास्त्रियों ने भी मोदी सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए विभिन्न उद्योगों को पर्याप्त राहत पैकेज देने का ऐलान किया था । विश्वबैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने हाल ही में कहा था कि कोरोना महामारी के कारण भारत बड़ी आर्थिक सुस्ती का सामना कर रहा है जबकि भारत मे पहले से ही जबरदस्त आर्थिक असमानता है जिसमे कोरोना से और इजाफा होगा । इसलिए देश को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज की जरूरत है । इसके पहले प्रमुख अर्थशास्त्री और रिजर्वबैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने 26 मार्च को केंद्र सरकार द्वारा घोषित1.70 लाख करोड़ के पैकेज को नाकाफी बताते हुए कहा था कि यह देश की जीडीपी का कुल 0.8 फीसदी है जो बिल्कुल पर्याप्त नहीं है । लॉक डाउन के कारण लाखों लोगों की बचत तबाह हो गयी है ,ऐसे में उनकी रोजीरोटी पर ध्यान देना जरूरी है । अतः स्वाभाविक है कि सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोंग्रेस नेताओं सहित सभी प्रख्यात अर्थशास्त्रियों के सुझाव पर ध्यान देते हुए यह पैकेज देने का फैसला कर लिया । मेरा मानना है कि अगर इस बीस लाख करोड़ में से रिजर्वबैंक द्वारा दिये गए 8 लाख करोड़ के प्रोत्साहन और 25 मार्च को सरकार द्वारा घोषित 1.70 लाख करोड़ के राहत पैकेज को घटा दिया जाए तो भी शेष धनराशि सुस्त पड़े उद्योगों में नए उत्साह का संचार कर देगी । वित्तमंत्री निर्मला सीता रमन द्वारा एमएसएमई सेक्टर के लिए बिना गारंटी ,3 लाख करोड़ के कर्ज का प्रबंध एक नई ऊर्जा का काम करेगा । मैंने इसी स्थान पर कई बार इस सेक्टर को पर्याप्त राहत की मांग इसके विशाल आकार और जीडीपी में इसके महत्वपूर्ण योगदान के आधार पर की है और मुझे संतोष है कि सरकार ने इस क्षेत्र की ओर पूरी संवेदनशीलता से ध्यान दिया ।
सराहनीय राहत पैकेज